जनपद में धड़ल्ले से जारी है बालश्रम

श्रम प्रवर्तन विभाग सोया कुम्भकर्णीय नींद में

ललितपुर ब्यूरो जनपद भर में अनाथ व गरीब परिवार के नाबालिग बच्चों को बालश्रम से बचाने के लिए शासन स्तर से योजनायें संचालित हैं। बावजूद इसके नाबालिग बच्चों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिला, ब्लाक व गांव स्तर पर समिति गठन के अभाव में बच्चों को सरकारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। इस दिशा में जहां उ.प्र.राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशों को दरकिनार किया जा रहा है तो श्रम कानून का माखौल भी उड़ाया जा रहा है।
       जनपद में जगह-जगह बालश्रम करने वाले बच्चों को आसानी से किसी भी चाय या खाने के होटलों पर आसानी से देखा जा सकता है। पढऩे-लिखने की उम्र में बच्चों से कराये जा रहे बालश्रम को रोकने के लिए श्रम प्रवर्तन विभाग भी उदासीन बना हुआ है। वहीं ऐसे कामगार बच्चों के हितार्थ सरकार द्वारा चलायी जा रहीं योजनाओं का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है। ललितपुर की महरौनी विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद प्रदेश सरकार ने विधायक मनोहरलाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी को श्रम एवं सेवायोजन मंत्रालय का राज्यमंत्री घोषित किया था। जिसके बाद से माना जा रहा था कि अब कोई भी अनाथ या गरीब बच्चा बाल श्रम नहीं करेगा। बच्चों को शिक्षा की ओर अग्रसर करते हुये बाल श्रम पर सख्ती से रोक लगायी जायेगी। साथ ही शासकीय योजनाओं से ऐसे बच्चों को चिन्हित कर लाभान्वित भी किया जायेगा। आंगनबाड़ी केन्द्रों व परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के भविष्य के साथ लापरवाही करने वालों के खिलाफ सीधे तौर पर कार्यवाही अमल में लायी जायेगी। लेकिन धरातल पर एसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है। एसे में शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने प्रदेश सरकार से जनपद में जारी बाल श्रम पर प्रभावी तरीके से रोक लगाये जाने की मांग उठायी है।
रिपोर्ट अमित अग्रवाल