तालाब की सरकारी भूमि पर प्राईवेट कम्पनी का लगाया जा रहा टावर
मानव आर्गेनाईजेशन ने मुख्यमंत्री व डीएम को भेजा पत्र
डीएम ने वन विभाग को कार्यवाही के लिए किया आदेशित
ललितपुर ब्यूरो पर्यावरण संरक्षण, पशु-पक्षियों और वन्य जीव की विरासत और उसके आवास के संरक्षण को संरक्षित करने के लिए सुम्मेरा तालाब की बाउण्ड्रीबाल अंदर लग रहे मोबाइल टावर को हटवाये जाने की मांग की गयी थी। मानव आर्गेनाईजेशन अध्यक्ष/वरिष्ठ युवा अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह चौहान द्वारा मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को की गयी इस शिकायत का संज्ञान लेते हुये जिलाधिकारी ने वन विभाग को कार्यवाही के लिए आदेशित किया है।
मानव आर्गेनाईजेशन अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को भेजे पत्र में बताया कि ललितपुर जिला जैव विविधता से परिपूर्ण है, लेकिन जानकारी के अभाव में आये दिन इसको भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। शहर के मध्य सुम्मेरा तालाब जो कि आस्था का प्रमुख केन्द है। सुम्मेरा तालाब पर प्रतिवर्ष हजारों प्रवासी पक्षी आती है और आसपास भी पक्षियों के आवास हैं। बताया कि तालाब की बाउण्ड्रीबाल से मोबाइल टावर लगाया जा रहा है, जिससे मोबाइल टावर से पक्षियों के पारिस्थितिक तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और उन्हें अनावश्यक पीड़ा भी सहन करनी पड़ेगी, जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) व पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 का उल्लंघन है। बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश मनमोहन सिंह ने कहा है कि जीव जन्तु एवं पक्षियों को भी गर्व से जीने का अधिकार है। स्टोक होम घोषणा पत्र 1972 के सिद्धान्त 3 के अनुसार वन्य जीवन की विरासत और उसके आवास का संरक्षण करना प्रत्येक देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। बताया कि तालाब शासन की सम्पत्ति है और सरकारी भूमि है। सरकारी सम्पत्ति पर प्राईवेट कम्पनी को टावर लगाने के लिए अनुमति नहीं दी जाती है। एसी स्थिति में उक्त मोबाइल टावर तालाब की सरकारी जमीन पर लगाया जाना जनहित में नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी से सुम्मेरा तालाब एवं प्रवासी पक्षियों के आवास को संरक्षित किया जाने की आवश्यकता पर बल दिया एवं जनहित की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये उक्त मोबाइल टावर को तालाब की सरकारी भूमि पर स्थापित न कराये जाने की मांग उठायी है।
रिपोर्ट अमित अग्रवाल