आकांक्षा समिति द्वारा किया गया वृक्षारोपण
ललितपुर में वृक्षारोपण की हैं असीम सम्भावनायें :- श्रीमती मंजू सिंह
ललितपुर ब्यूरो आज दिन रविवार को आकांक्षा समिति की अध्यक्षा श्रीमती मंजू सिंह की अध्यक्षता में आकांक्षा समिति द्वारा गोविन्द सागर बांध की तलहटी में वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। सभा के संचालक वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. भगवत नारायण शर्मा ने अभिज्ञान शाकुंतलम के श्लोक से की, जिसमें शकुंतला ने वृक्षों को अपना सहोदर बताया। प्रो. शर्मा ने कहा कि भारतीय मनीषियों की परम्परा त्याग पूर्वक उपभोग रही है। हमें इसी परम्परा का निर्वाह करना है। कार्यक्रम के अगले चरण में प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी ईश्वर दयाल ने आकांक्षा समिति की अध्यक्षा श्रीमती मंजू सिंह का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। इसके उपरान्त आकांक्षा समिति की अध्यक्षा ने इस कार्यक्रम में लगाये जाने वाले पौधों के लिए गड्ढे खोदने वाली श्रमिक महिलाओं को माला पहनाकर एवं उन्हें गले लगाकर उनका सम्मान किया। अपने स्वागतीय भाषण में प्रभागीय निदेशक ने कहा कि वन महोत्सव की शुरूआत के. एम. मुंशी द्वारा की गई थी। उनका उद्देश्य इस वन महोत्सव के माध्यम से सिकुड़ते हुए वनावरण को और सघन करना था। क्योंकि वनावरण का सीधा सम्बंध वर्षा से है और भारत मानसूनी वर्षा पर आधारित एक कृषि प्रधान देश है। उन्होंने इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने आये सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। इसके उपरान्त सभा को सम्बोधित करते हुए अपर जिलाधिकारी ललितपुर योगेन्द्र बहादुर सिंह ने वैज्ञानिक तरीके से वृक्षों के महत्व को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वायुमण्डल में स्थित ओजोन परत में छिद्र के विस्तार के कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है। इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक है कि ओजोन की परत को अत्यधित सघन और मोटा बनाया जाये। वृक्ष जो ऑक्सीजन हमें प्रदान करते हैं उसमें से हमारे उपभोग के उपरान्त जो ऑक्सीजन बचती है वह ओजोन गैस के निर्माण में काम आती है, क्योंकि ओजोन और ऑक्सीजन की परमाणविक संरचना एक ही है। ऑक्सीजन के तीन अणुओं से ओजोन के दो अणुओं का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि वनारोपण में फलदार वृक्षों की संख्या को बढ़ाकर हम जलवायविक प्रक्रिया को मजबूत तो करते ही हैं, साथ ही अच्छी आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर सभा में उपस्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. प्रताप सिंह ने ग्रीन हाउस इफेक्ट पर प्रकाश डाला और बताया कि जो कार्बनडाई ऑक्साइड गैस पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने के लिए उत्तरदायी है, हमारे वन उस कार्बनडाई ऑक्साइड का अवशोषण कर उसे ग्लूकोज में परिवर्तित कर देते हैं, जो कालान्तर में हमारे भोजन के रूप में हमें प्राप्त होता है। इस प्रकार खाद्य श्रंखला में वन एवं वृक्ष उत्पादक की भूमिका निभातें हैं। इसके उपरान्त आकांक्षा समिति की अध्यक्षा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सर्वप्रथम कार्यक्रम की नीव उन श्रमिक बहनों का अभिवादन किया, जिन्होंने पौधरोपण के लिए गड्ढे तैयार किये थे। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति हमेशा से सृजन का द्योतक रही है। आज भी इस कार्यक्रम की मूल आधार हमारी श्रमिक बहने हैं, जिन्होंने अपने श्रम से पौधों के लिए स्थान तैयार किया है। उन्होंने वनों के महत्व पर वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की कृषि पूरी तरह से मानसूनी वर्षा पर आधारित है। हमारा वनावरण इसी मानसूनी वर्षा में सहायक है। वृक्षों से होने वाले वाष्पोत्सर्जन से बादलों का निर्माण होता है और धरा को वर्षा प्राप्त होती है। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने 2020 तक कृषकों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है, उसमें वृक्षारोपण अत्यन्त सहायक हो सकता है। हमारे किसान बंधु खाली पड़ी जमीन पर उद्यान कृषि में फलों का उत्पादन कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग आज एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। इसके लिए हमारे कल-कारखानों, गाड़ियों एवं अन्य माध्यमों से उत्पन्न होने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड गैस उत्तरदायी है। इस गैस के वायुमण्डम में सांद्रढ़ बढ़ने से वायु की तापमान धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है। ऐसे में जो ऊष्मा अंतरिक्ष में चली जानी चाहिए, वह हमारे वायुमण्डल में ही फंस कर रह जाती है, जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है। हमारे पौधे कार्बन डाई आक्साइड की इसी सांद्रता को कम करते हैं, इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन तभी तक सम्भव है जब तक हमारे वृक्ष जीवित हैं। सभा को सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षा श्रीमती मंजू सिंह ने कार्बन फुट प्रिंट की भी चर्चा की। उन्होंने उपस्थित लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि यह एक आधुनिक संकल्पना है, जिसका अर्थ यह है कि जितना कार्बन हम उत्पादित करते हैं, हमें उससे ज्यादा कार्बन के निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी। हमारा कार्बन फुट प्रिंट जितना छोटा होगा, वह पर्यावरण के लिए उतना ही अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि ललितपुर में वृक्षारोपण की असीम सम्भावनायें हैं। यहां पर पूर्व में शायद सघन वनावरण रहा होगा, परन्तु कालान्तर में कृषि अथवा अन्य कारणों से उसका व्यापक पैमाने पर ह्रास हुआ। आज के दिन हमें यह संकल्प लेना होगा कि ललितपुर में स्थित किसी भी खाली जमीन को हमें वनावरण के अंदर लाना है, तभी जाकर ललितपुर में जलाभाव एवं सूखे की समस्या का प्रभावी समाधान हो सकेगा।
आकांक्षा समिति की सचिव जनक किशोरी शर्मा एंव श्रीमती अर्चना अग्रवाल ने भी अपने विचार प्रकट किये। इसके उपरान्त अध्यक्षा, आकांक्षा समिति श्रीमती मंजू सिंह एवं समिति की अन्य सदस्याओं ने अनेक प्रकार के वृक्षों का रोपण किया तथा उनका सिंचन किया। इस कार्यक्रम में आकांक्षा समिति से श्रीमती शान्ति मालवीया, नीति शर्मा, संगीता जैन, रीना जैन, सरोज दिवाकर तथा अन्य सदस्यायें उपस्थित रहीं। प्रशासन की तरफ से भी जिला विद्यालय निरीक्षक, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी ईश्वर दयाल, जिला उद्यान अधिकारी सुघर सिंह, जिला सूचना अधिकारी पीयूष चन्द्र राय तथा मीडियाकर्मियों की तरफ से वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र नारायण शर्मा, रविन्द्र दिवाकर ने कार्यक्रम में सहभागिता की। सभा का संचालन प्रो. भगवत नारायण शर्मा ने किया।
रिपोर्ट अमित अग्रवाल