जगदीश मन्दिर धर्मशाला में मनाई गई गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती


भारत हृदय सम्राट गोस्वामी तुलसीदास - समता और न्याय आधारित रामराज्य फिर से साकार करना चाहते हैं - प्रो. शर्मा

तुलसी जन्मोत्सव पर उनके साहित्यिक उद्देश्य का प्रतिपादन

ललितपुर ब्यूरो श्री जगदीश मन्दिर मण्डपम में आयोजित गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती का शुभारम्भ गोस्वामी जी के चित्र के समक्ष दीपवर्तिकाओं को प्रज्वलित करते हुये सांसद प्रतिनिधि प्रदीप चौबे, बुन्देली साहित्य सृष्टा पं. बाबूलाल द्विवेदी (छिल्ला), नेहरू महाविद्वालय समिति अध्यक्ष प्रभात दीक्षित, नवल किशोर सोनी, अध्यक्ष विश्वहिन्दू परिषद एवं मन्दिर समिति के अध्यक्ष सुधांशु शेखर हुण्डैत ने किया। अतिथियों का स्वागत करते हुये संरक्षक पं. चन्द्रविनोद हुण्डैत ने कहा - महिलाओं द्वारा रामचरित मानस का नियमित पाठ एवं भक्त शिरोमणि तुलसीदास जी की जयन्ती को मनाने की परम्परा का सतत् अखण्ड रूप से 100 वर्षों से चल रहा है। वर्ष 2018 के जयन्ती वर्ष की थीम - “तुलसी की है यही पुकार - राम राज्य हो फिर साकार“ विषय का प्रवर्तन करते हुये सभा अध्यक्ष नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. भगवत नारायण शर्मा ने बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये कहा कि रामराज्य सिर्फ अयोध्या तक सीमित न होकर, तीनों लोकों तक फैला था, इसलिए तुलसी कहते हैं - “रामराज बैठे त्रिलोका, गए शोक हर्षित भए लोगा।“ घोर दारिद्रय, अकाल चहुंओर व्याप्त बेरोजगारी देखकर उनकी समाज सापेक्ष भक्ति कैसे आंख मूंदे रह सकती है? आज के सम सामयिक युग में वे कहते हैं दरिद्रता के रावण ने सारे संसार को दबा रखा है। उसका संहार करके दीनबन्धु राम जनता की रक्षा करें। तुलसी की दृष्टि में राम पीड़ित जनों की एकमात्र आशा है। सरयू के घाट पर चारों वर्ण एकसाथ स्नान करते हैं। मंज्जहि तहाँ बरन चारिऊ नर’ रामराज्य में ‘नेहि कोउ अबध न लक्षण हीना, सभी प्रबुद्ध है, हुनरमंद हैं, इसलिए कोई बेरोजगार नहीं है। राजा और प्रजा के संघर्ष तुलसी प्रजा के साथ है। प्रो. शर्मा ने आगे कहा कि तुलसी का मूल संदेश मानव प्रेम है। मानव प्रेम को सक्रिय रूप देना सहानुभूति को व्यवहार में परिणित करके जनता के मुक्ति संघर्ष विजयान्तक परिणाम तक पहुंचाने पर ही राम राज्य फिर से स्थापित हो सकता है। विचार मंथन में डा. जनक किशोरी शर्मा, भगवत नारायण बाजपेई, बाबा काशीराम साहू, वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र नारायण शर्मा, कैलाश दुबे, शिव कुमार चतुर्वेदी, राम गोपाल नामदेव, रामकुमार शर्मा, उमाशंकर विदुआ, आचार्य सत्यनारायण तिवारी, महेन्द्र रावत, भगवत दयाल सिन्धी, रमेश सोनी, मगनलाल एवं आप नेता मुरारीलाल जैन विचार प्रसून अर्पित किये। संचालन समिति के महामंत्री विभाकान्त हुण्डैत ने किया। आभार संयोजक आदर्श कान्त हुण्डैत ने जताया।
रिपोर्ट अमित अग्रवाल